कल एक विधायक प्रत्याशी से पूछा की आपकी विचारधारा क्या है? वह बोला कोई विचारधारा नहीं बस जीतना जरुरी है. मेरी पार्टी के पास इतने कुर्मी,लोधी और पिछड़ी जाति के हैं मैं मुस्लिम हूँ इसलिए मुझे मुस्लिम वोट मिलेंगे और मेरी जीत पक्की है.
हमारे अंबेडकर साहब ने भी ऐसी छोटी राजनीति की परिकल्पना नहीं की होगी . इस प्रदेश में सिर्फ अमुक जाति का होना आवश्यक है और कुछ नहीं. कैसे होगा ऐसे प्रदेश का विकास जहाँ का मतदाता जाति से परे कुछ सोचता ही नही या फिर शायद सोचने नहीं दिया जाता.
विवेकानन्द ,गाँधी ,गोलवलकर क्या ऐसा समाज बनाना चाहते थे ????
कब हमारे नेता समाज,प्रदेश और राष्ट्र के निर्माण पर अपनी दृष्टि डालेंगे?? जनता के पास भी कोई विकल्प नही !!!.एक भारतीय जनता पार्टी इन सब से अलग दिखती थी परन्तु कुशवाहा जैसों को शामिल करके उसने भी साबित कर दिया की वह भिन्न नहीं है.
विकल्प जनता के पास है सही प्रत्याशी चुने!! वह सड़क चाहे न बनावे पर कम से कम हमारे समाज का विभाजन न करे!!!
न जाति पर न धर्म पर बस राष्ट्र धर्म पर.
जय भारत
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